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'{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> ख़्वाब...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
ख़्वाब में ये ही तिल्सिमात रहे
अपने हाथों में तेरे हाथ रहे
होके तुझसे जुदा न जी न पाए
खुश रहे जब भी तेरे साथ रहे
हम पे मोहरे चले इधर से उधर
हम तो शतरंज की बिसात रहे
हमने शोहरत तो खूब पायी मगर
हम न इन्सां न उसकी ज़ात रहे
कल का सूरज ज़रूर देखेंगे
हम अगर ज़िन्दा आज रात रहे
ऐ 'मनु' उससे गिला क्या करना
जिनके ईनाम भी खैरात रहे</poem>
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
ख़्वाब में ये ही तिल्सिमात रहे
अपने हाथों में तेरे हाथ रहे
होके तुझसे जुदा न जी न पाए
खुश रहे जब भी तेरे साथ रहे
हम पे मोहरे चले इधर से उधर
हम तो शतरंज की बिसात रहे
हमने शोहरत तो खूब पायी मगर
हम न इन्सां न उसकी ज़ात रहे
कल का सूरज ज़रूर देखेंगे
हम अगर ज़िन्दा आज रात रहे
ऐ 'मनु' उससे गिला क्या करना
जिनके ईनाम भी खैरात रहे</poem>