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मन जंगल के हुए / सोम ठाकुर
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16:02, 21 मई 2012
हम जिया किये केवल खाली आकाश पर
ठंडे सैलाब में बही वसंत-पीढ़ियाँ
पाँव कहीं टिके
नही
नहीं
, इतने हलके हुए
लूट लिए वे मिले घबराकर ऊब ने
डा० जगदीश व्योम
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