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{{KKRachna
|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव
|संग्रह=राजधानी में एक उज़बेक लड़की / अरविन्द श्रीवास्तव
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<poemPoem>
आधा सेर चाउर पका
बुढ़वा ने खाया -- बुढ़िया ने खायालेंगरा ने खाया -- बौकी ने खाया
कुतवा ने खाया चवर-चवर
जो गया था चाउर लाने
लौट कर नहीं आया आजतकआज तक !
</poem>
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