एक बज गया
सोई होगी तुम निश्चय ही
* ओका अका<ref>वोल्गा की सहायक नदी</ref> जैसीजल्दी क्या है मैं न् जगाऊंगा जगाऊँगा तुमकोसर-दर्द न् दूंगा दूँगा तुरत-तार देकर के तुमकोस्वपन तुमको स्वपन न् कोई भंग करूँगा
जैसा वे कहते हैं
खत्म कहानी यहीं हो गयीगई
नाव प्रेम की
जीवन-चट्टानों से टकरा कर चूर हो गयीगई
अब हम स्वतंत्र हैं
आपस के अपमान व्यथा आघातों की
ऐसे पहर जगा है कोई
युग इतिहास विश्व को
संबोधित करने को .।
* ओका '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : वोल्गा की सहायक नदी रमेश कौशिक''' </poem>( रमेश कौशिक द्वारा अनूदित संग्रह से : एक सौ एक सोवियत कविताएँ){{KKMeaning}}