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Kavita Kosh से
मकानों, कहवाघरों और पास-पड़ोस का परिवेश
जिसे मैंने देखा और
सालों-साल जिससे होकर गुज़रा :
मैंने तुम्हें सिरजा अपनी ख़ुशी
अपनी उदासी के दौरान
बहुत सारी घटनाओं से
बहुत-से ब्योरों से
और अब तुम-सब