भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक अनकही बात / भावना कुँअर

7 bytes removed, 17:46, 16 जुलाई 2012
|रचनाकार=भावना कुँअर
}}
{{KKCatKavita‎}}आज़ <poem>आज एक वर्ष पूरा हो गया मगर मेरा ख्वाब ख़्वाब
अभी अधूरा है,
 
अभी तो मुझे पाना है
 सूरज़ सूरज-सा तेज़ तेज और चाँद -सी शीतलता, 
अभी तो मुझे पानी है
 फूलों -सी कोमलता धरती -सी सहनशीलता, 
अभी तो मुझे चुराने हैं
 
कुछ रंग इन
 
रंगबिरंगी तितलियों से,
 
अभी तो मुझे लेना है
 थोड़ा -सा विस्तार  
इस नीले गगन से,
 
अभी तो मुझे लानी है
 थोड़ी -सी लाली इस 
ढलती हुई शाम से,
 
अभी तो मुझे
 
चुरानी है
 थोड़ी -सी चमक  
इन चमचमाते तारों से,
 
अभी तो मुझे लेनी है
 थोड़ी -सी हरियाली 
इन लहलहाते खलियानों से,
 
अभी तो मुझे पानी है
 नदी -सी चंचलता और पहाड़ -सी स्थिरता हाँ , तभी तो होगा 
ये ब्लॉग पूरा
 
इन रंगों से
 सज़ासजा, हरा -भरा  मेरे ख्वाबों ख़्वाबों की जमीं ज़मीं परसजा-धजा ।सज़ा धज़ा।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,277
edits