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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सब कुछ कृष्णार्पणम् / गुलाब खंडेलवाल
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[[Category:गीत]]
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सहज हो प्रभु साधना हमारी

सहज रहे जीवन और सहज हो मरण
सहज सदा चिंतन हो, सहज आचरण
सहज-सहज कर लें हम वरन वे चरण
शरण-क्लेशहारी

आतप-हिम-वात सभी हँस-हँसकर सहें
जैसे तू रखता हो वैसे ही रहें
तेरी ही सुनें और तुझसे ही कहें
भार हो न भारी

सहज हो प्रभु साधना हमारी
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