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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह= नाव सिन्ध...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= नाव सिन्धु में छोड़ी / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
कौन आता है सपना बन के
निद्रा के पथ से स्मृतियों के नव वसन पहन के
रूप कि ज्यों मोती में पानी
नयनों में पीड़ा अनजानी
कहता है अनकही कहानी
द्वार खोल कर मन के
तार छेड़ देता वीणा के
राग न जाने कहाँ कहाँ के
पा न सका जिनको पा-पा के
भाव लिये उस क्षण के
कौन आता है सपना बन के
निद्रा के पथ से स्मृतियों के नव वसन पहन के
<poem>
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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= नाव सिन्धु में छोड़ी / गुलाब खंडेलवाल
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कौन आता है सपना बन के
निद्रा के पथ से स्मृतियों के नव वसन पहन के
रूप कि ज्यों मोती में पानी
नयनों में पीड़ा अनजानी
कहता है अनकही कहानी
द्वार खोल कर मन के
तार छेड़ देता वीणा के
राग न जाने कहाँ कहाँ के
पा न सका जिनको पा-पा के
भाव लिये उस क्षण के
कौन आता है सपना बन के
निद्रा के पथ से स्मृतियों के नव वसन पहन के
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