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घूमें घनश्याम स्यामा-दामिनी लगाए अंक,
सरस जगत सर सागर भरे- भरे ।
हरे भरे फूले-फले तरु पंछी फूले फिरें,
भ्रमर सनेही कालिकान पै अरे-अरे ।।
नन्दन विनिन्दक विलोकि अवनि की छवि,
इन्द्रवधू वृन्द आतुरी सौं उतरे तरे ।
हरे हरे हार मैं हरिन नैनी हेरि हेरि,
हरखि हिये मैं हरि बिहरैं हरे-हरे ।।
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