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इस रचना के रचनाकार के बारे में मतभेद है। कुछ लोग इसे [[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]] जी की रचना बताते हैं और कुछ [[हरिवंशराय बच्चन]] जी की। यदि आपके पास इस दुविधा को दूर करने के लिये इस बारे में कोई प्रमाण हो तो कृपया kavitakosh@gmail.com पर सूचना दें। -- [[कविता कोश टीम]]
 
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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<poem>
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,<br>कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br> नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,<br>चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।<br>हैमन का विश्वास रगों में साहस भरता है,<br>चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।<br>हैआख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,<br>कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,<br>जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।<br>हैमिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,<br>बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।<br>मेंमुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,<br>कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,<br>क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।<br>करोजब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,<br>संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।<br>तुमकुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,<br>कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br>होती<br/poem>