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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,<br>जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।<br>हैमिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,<br>बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।<br>मेंमुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,<br>कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,<br>क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।<br>करोजब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,<br>संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।<br>तुमकुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,<br>कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br>होती<br/poem>