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प्रीति के बस्य गोपी-रमन नाम प्रिय, प्रीति बस जमल तरु मोच्छदाई ।
प्रीतिबस नंद-बंधन बरुन गृह गए, प्रीति के बस्य-बन-धाम कामी ।
प्रीति के बस्य प्रभु सूर त्रिभुवन बिदित, प्रीति बस सदा राधिका स्वामी ॥13॥