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हाइकू / सुशीला श्योराण

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{{KKCatKavita‎}}<poem>(१)
नाच्यो हिवड़ो
देख’र काळी घटा
बोल्यो- मोरियो !

(२)
टाबर भाज्या
पकड़स्यां धनक
म्हारै मामै री !

(३)
गांव रै कुवै
चौपाळ लुगायां री
दुखड़ो रोवैं !

(४)
छोटी उमर
परणाई बाबो-सा
रोवै थारी धी ।

(५)
क्यूं परणाई
रोवै है चिड़कली
बैठ बिदेस !

(६)
बरस्यो मेह
हाथ हळ्सोतियो
जी मैं हुळास !

(७)
सीळी पिरवा
जळावै म्हारो जीव
वै परदेस ।

(८)
तपै तावड़ो
चिड़ी उडीकै ?
रेत न्हावै !

(९)
चढ चौबारै
गोरी निरखै चांद
रोवै हिवड़ो !

(१०)
रूत सावण
बागां पड़्या हिंडोला
आवो साजन।

(११)
मीठी लापसी
मा सा रा गुलगुला
देस बुलावै !

(१२)
सूरज गिंडी
जा लुकै समंदर
दिखै दिनूगै !

(१३)
कैर-खेजड़ी
अठै दुखां जूझणो
सिखावै थानै ।

(१४)
सुरंगी रूत
धोरां रेसम-तीज
सावण गीत!

(१५)
टाबर-टोळी
न्हावै नंग-धड़ंग
हरखै जीव !

(१६)
ओ गठजोड़,
एक गांठ सूं काट्या -
जलम-नाता !


(१७)
थारो ई अंस
कदै जलम्यां मारी
कदै कूख में !</poem>
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