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{{KKRachna
|रचनाकार=दिनकर कुमार
|संग्रह=लोग मेरे लोग / दिनकर कुमार
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वह जो फ़ेसबुक का साथी है
किसी मशीन की तरह
या किसी बहुरुपिए बहुरूपिए की तरह
वह अपनी कुँठाएँ उड़ेलता है
जब वह बिलकुल अकेला होता है