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|रचनाकार=मलिक मोहम्मद जायसी
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[[Category:लम्बी कविता]]
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'''दोहा'''
जस जस नियर होइ वह देखै । तस तस जगत हिया महँ लेखै ॥<br>
पुहुमी देखि न लावै दीठी । हेरै नवै न आपनि पीठी ॥<br><br>
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