भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपने / बद्रीनारायण

No change in size, 04:40, 15 अक्टूबर 2007
ये मुझे ठेलते जाते हैं एक विशाल नर्क में
मईम मैं चीख़ता हूँ ज़ोर से
आधी रात
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits