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सपने / बद्रीनारायण

No change in size, 04:40, 15 अक्टूबर 2007
ये मुझे ठेलते जाते हैं एक विशाल नर्क में
मईम मैं चीख़ता हूँ ज़ोर से
आधी रात
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