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ग़ज़ल तुमको सुनाना चाहता हूं / ‘अना’ क़ासमी
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12:03, 2 जून 2013
मैं लहजा आज़माना चाहता हूं
ख़फ़ा हो जायें ना ज़िल्लेइलाही<ref>बादशाह</ref>
ज़रा सा मुस्कुराना चाहता हूं
वीरेन्द्र खरे अकेला
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