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Kavita Kosh से
फेंक गए वानर ।
तुम दुखी मत हों बदरी गाछ ।
जानता हूँ गौधूलि
अरुण-पिंगल फूलों से झोल खा जाएँगी
डगालियाँ ।
निराश होना ठीक नहीं यों ।