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उनका हो जाता हूँ/ त्रिलोचन

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|रचनाकार=त्रिलोचन
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चोट जभी लगती है
 
तभी हँस देता हूँ
 
देखनेवालों की आँखें
 
उस हालत में
 
देखा ही करती हैं
 
आँसू नहीं लाती हैं
 
और
 
जब पीड़ा बढ़ जाती है
 
बेहिसाब
 
तब
 
जाने-अनजाने लोगों में
 
जाता हूँ
 
उनका हो जाता हूँ
 
हँसता हँसाता हूँ।
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