भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
सारे रंगों की क़द्र करना सीख
फिर बनेगा समाज फूलों का
सब्र जो है यतीम बच्चों को
बस यही है अनाज फूलों का
खुशबूएँ बाँटती रहो ‘श्रद्धा’