भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='फना' निज़ामी कानपुरी }} {{KKCatGhazal}} <poem> व...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार='फना' निज़ामी कानपुरी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वो जाने कितना सर-ए-बज़्म शर्म-सार हुआ
सुना के अपनी ग़ज़ल मैं क़ुसूर-वार हुआ

हज़ार बार वो गुज़रा है बे-नियाज़ाना
न जाने क्यूँ मुझे अब के ही ना-गवार हुआ

हज़ारों हाथ मेरी सम्त एक साथ उठे
मगर मैं एक ही पत्थर में संग-सार हुआ

मैं तेरी याद में गुम था की खा गया ठोकर
ये हादसा मेरी राहों में बार बार हुआ
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits