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Kavita Kosh से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पैशक़दमी पेशक़दमी से,
मुझे भी लोग कहते हैं ये जलवे पराए हैं ।
वो अफ़साना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन,
उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा ॥
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