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काली तितली / सविता सिंह

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|रचनाकार=सविता सिंह
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एक अंधकार से फूटता है दूसरा अंधकार

इस तरह चल रहा जीवन व्यापार

एक काली तितली के पीछे निकलती है

दूसरी काली तितली

खो देती है प्रकाश की तरफ़ जा कर राह


बचा रहता है फिर भी कितना तम

कितना प्रकाश

मरती हैं फिर भी कितनी तितलियाँ

होता रहता है कितना क्षरण

मृत्यु का यूँ हर पल
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