भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभद्रा वीरेन्द्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुभद्रा वीरेन्द्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>लुकाइल कहाँ अँजोर
जिनगी खोजे आपन भोर
भुक्-भुक् दियना टूटल मड़ई
कबले जीही अइसे मनई
रहि-रहि के डेरवावे राति
झर-झर झरेला लोर। लुकाइल....

आसपास न कुछुओ लउके
घर-आँगन में चुहिया छउके
मनवाँ हरमेसे जे बउखे
सूखि गइल बा सोर। लुकाइल.....

सून अकसिया टुक्-टुक् ताके
ललकी किरिन न काहे झाँके
जिनगी हमार सवाल भइल
अझुरल कहवाँ डोर। लुकाइल.....

दिन-दुनियाँ के खबर भुलाइल
धीर मन के कुल्ही हेराइल
तिल-तिल जीयल लागे मूअल
खूखल नदिया कोर। लुकाइल.....
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits