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<poem>शब्द पकड़ में नइखे आवत ;
अगर पकड़ात बा,
त अर्थ, धनक जाता।
मन के भाव
बाहरी दबाव से
जँता जात बा ;
दुनियाबी प्रपंच से
घबड़ा के भाग जाता।
शब्द के अर्थ
कइसे दीं ?
शब्द डायरी तक आवत-आवत
राख हो जात बा,
आ कविता-
उड़ियाये लागत बिया !
कहाँ बाँचल बा-
शब्द, जवन खोल सके अर्थ।
</poem>
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