भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
काया बांधण नै लाया
कांकण डोरड़ा
मौड़ सूं पगरखी तांई
पसरियोड़ी है
</Poem>