भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

म्हारौ होवणौ / अर्जुनदेव चारण

No change in size, 07:07, 15 अक्टूबर 2013
|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
 
म्हारी जमीन रौ
पैलौ पावंडौ
ऊगती किणी रेख मांय
खुद नै
 
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits