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औस तणा नैनाकिया मोती, पसरयोडा हा इतरी ताळ !पलक झपकाता गया कठीने, करूँ औस री ढूंढा-भाळ ?
आभै तणी कूख सूं उपन्यो, सुरज-गीगलो करतो छैन !जाय चढ्यो पूरब री गोदी, नेमधेम री सैनूंसैन !
बाड़ी-तणा फूल-पानका, चिल्कै-मुळकै बण'र बहार !
मै उगते सुरजी नै देख'र लुळ-लुळ नमन करूँ मनवार !
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