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सबदां रै मारफत / मदन गोपाल लढ़ा

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|संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
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<Poem>
 
केई सवाल एङा ई हुवै
जकां रै जबाब रो
आवो आपां सोधां
सबदां अदीठ नै !
 
</Poem>
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