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आजै ई सिळगै / चैनसिंह शेखावत

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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>ऐ किला, म्हैल, मिंदर
सगळा थां रा ई तो निजराणा हा
जोधा पण थे ई हा
सतीपणै री कथावां मांय
किणी रै मिनख होवण माथै सवाल
आजै ई सिळगै।</poem>
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