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कवि कीट्स नै फेरूं पढ़िया / नारायणसिंह भाटी
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04:32, 19 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{
KKCatMoolRajasthani
KKCatKavita
}}{{
KKCatKavita
KKCatRajasthaniRachna
}}<poem>कालै ही म्हैं कीट्स नै
पाछौ पढियौ
म्हनै लागौ
मावटी2 मींट टिमकारै ।
(1 बिजळी सी चमक : 2 माह महीने री बिरखा )</poem>
आशिष पुरोहित
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