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अख्खियाँ नूँ नींद क्यों न आई वे
'''भावार्थ'''<br><br>
--'यदि काम पर जाने के लिए तुम तैयार हो, काम पर जाने को प्रीतम ! तो मुझे भी अपने साथ ले चलो ।
अजी, मैं भी कहूँ, मुझे नींद क्यों नहीं आती ? तुम करोगे नौकरी, ओ मेरे प्रीतम ! और मैं कातूंगी सूत सुन्दर
मेरे प्रिय ! अजी, मैं भी सोचती हूँ, ये नींद क्यों नहीं आती ? एक रुपए की नौकरी तुम्हारी, ओ प्रीतम ! मेरा
सूत होगा एक लाख का । अजी, मैं भी कहूँ मुझे आख़िर नींद क्यों नहीं आती ।'