भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ / महेन्द्र मिश्र
}}
{{KKCatKavitt}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem> चातक चकोर मोर शोर करि बोले हाय घटा भी घमंड घेरी घेरी बर्षतु है।
सावन का झरान अब राखे कुलकाने अब बादल बिलंद बूंद रोज हर्षतु है।
रैन अँधियारी कारी दिख डर लागे सखि बिजली तो अचानक आय रोज गर्जतु है।
द्विज महेन्द्र सावन मन भावन नहीं आये हाय पुरूवा निगोरी अब त रोज सनकतु है।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits