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18:04, 30 जनवरी 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=उत्तमराव क्षीरसागर
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|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>चल उठ एक नई ज़िंदगी का आगाज़ कर,
पेट खाली ही सही आसमानों की परवाज़ कर ।
मान भी ले अब यह ज़िद अच्छी नहीं,
''मिल गया 'यूटोपिया' का रास्ता'' ये आवाज़ कर ।
लबों पे आने मत दे नाम तख्तो-ताज का,
बस उसको दुआ दे, 'जा राज कर ।
लाख करे कोई उजालों की बात, बहक मत,
तू फ़क़त ज़िंदा रह और ज़िंदगी पे नाज कर ।
-१९९५ ई०
</poem>