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20:06, 21 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= श्रद्धा जैन
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जुदाई और मिलन के दरमियाँ हैं कुछ
गिले - शिक़वे,
महकती गुफ़तगू , वादे
सितारों से भरा दामन
तेरा हँसता हुआ चेहरा
ग़ज़ल कहती हुई आँखें
मगर फिर भी
न जाने क्यूँ
तुम्हें जब याद करती हूँ
तो इतना याद आता है
हमेशा जागती आँखें
समाअत का छलावा भी
यक़ीं से वहम का रस्ता
तेरी आहट का धोखा भी
दिया था जो मुझे तुमने
बिछड़ने से ज़रा पहले
</poem>
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