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तुम्हारा जाना / शैलजा पाठक

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<poem>
जब शब्दों में
चिखने चीखने लगी वेदना
रोम रोम प्रवाहित होता रहा
अनगिनत शीशे
चुभने लगी आँखें
इस बार आंसूं आँसू के रंग अलग थे
किसी ने किसी के नही पोछे
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