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<poem>
मौन प्रणय
लिखता है शब्द
एकात्म मन अर्थ

मुँदी पलकों के
एकान्त में
होते हैं स्मरणीय स्वप्न

प्रेम
उर-अन्तस में
पिरोता है स्मृतियाँ
स्मृतियों में राग
राग में अनुराग
अनुराग में शब्द
शब्द में अर्थ
अर्थ में जीवन
जीवन में प्रेम
प्रेम में स्वप्न

प्रणय-रचाव शब्दों में
होता है सिर्फ प्रेम
जैसे सूर्य में सिर्फ
प्रकाश और ताप!
</poem>
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