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|रचनाकार=पुष्पिता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
प्यार का लाल पक्षी
फूल-सा कोमल और मुलायम
सेमल-सा रेशमी
चित्त-चितेरा
प्रिय का ह्रदय ही नीड़
चक्कर लगाता है नित्य
खोलो खिड़कियाँ
अपने चित्त के सिरहाने की
पक्षी की रक्षा में
समुद्र-पार उड़ान से
भारी है पंख
निश्चय ही अलौकिक है उसका प्रेम
समर्पित करता है अपना सर्वस्व
प्रणय की प्रतीक्षा में
विरल प्रणय-पाखी का स्पर्श करते तुम
तुम्हारे ऊष्म और धड़कते वक्ष की
अनमोल कोशिश एक
महाकोशिश
प्राणों में जैसे महाप्राण
रेड वैली पाखी।
</poem>
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प्यार का लाल पक्षी
फूल-सा कोमल और मुलायम
सेमल-सा रेशमी
चित्त-चितेरा
प्रिय का ह्रदय ही नीड़
चक्कर लगाता है नित्य
खोलो खिड़कियाँ
अपने चित्त के सिरहाने की
पक्षी की रक्षा में
समुद्र-पार उड़ान से
भारी है पंख
निश्चय ही अलौकिक है उसका प्रेम
समर्पित करता है अपना सर्वस्व
प्रणय की प्रतीक्षा में
विरल प्रणय-पाखी का स्पर्श करते तुम
तुम्हारे ऊष्म और धड़कते वक्ष की
अनमोल कोशिश एक
महाकोशिश
प्राणों में जैसे महाप्राण
रेड वैली पाखी।
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