भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
भानु घर उत्सव आज महान।
परमानंद-‌आनँद-दायिनी प्रगट भ‌ई सुख-खान॥

रूप अनूप, स्वरूप अलौकिक, आनँद-सुधा-समुद्र।
मिट्यौ मोह-तम, दुरित दह्यौ, देखतहीं दुख-दारिद्र॥

उमग्यौ प्रेम-समुद्र सुद्ध मधु, नस्यौ स्वार्थ कौ बीज।
उखर्‌यौ बिबिध अनर्थ-मूल, माया कौ बिटप सबीज॥

हरषित इत-‌उत धावत, गावत-नाचत सब पुर-लोग।
प्रगटीं धन्य करन जग कौं श्रीराधा सुभ-संजोग॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits