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<poem>
टुल्लम टुल्ला गिल्ली डंडा, खेल रहे थे गद्दू|
इसी बीच में ठीक सामने, निकल पड़े थे दद्दू||

गिल्ली लगी सामने कसकर, दद्दू का सिर फूटा|
डर के मारे गद्दू जी का ,इधर पसीना छूटा||

मार पड़ेगी यही सोचकर, गद्दू घर से भागे|
किंतु हाय तकदीर पड़ गये ,दादीजी के आगे||

दादी ने पकड़ा हाथों से, करदी बहुत धुनाई|
फोड़ा था दद्दू का सिर ,तो सजा उन्होंने पाई||

उल्टे सीधे काम किये ,तो अब न दाल गलेगी|
फोड़ा अगर किसी का सिर तो, तुमको सजा मिलेगी</poem>
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