भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाँव का शिकारा / रमेश रंजक

6 bytes removed, 14:01, 20 जुलाई 2014
अनजानी भूल की तरह
अँकुराया दूध-जला तारा
लौट चला दिन हारा-हारा
आँगन की धूल की तरह ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits