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गीत, खाब सा इक / कुमार मुकुल

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खाब सा इक उनका वजूद है
हर तरफ बस वो ही मरदूद है

खाब सा इक …

सीखचों के पार उपर चांद है
चिमगादडों की इधर उछल-कूद है

खाब सा इक …

हवा है तेज धूल भी खूब है
खडक उनकी किधर मौजूद है
खाब सा इक …
1997
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