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|रचनाकार=सूर्यदेव पाठक 'पराग'
|संग्रह=
}}
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<poem>
समय फिरल कि अब वसंत आ गइल
कली-कली चमन के खिलखिला गइल
भरत सुगन्ध मन्द बह चलल पवन
उमंग के तरंग दिल बहा गइल
जिया हुलस गइल मिलन के याद में
कोइल कहीं से प्रीत-गीत गा गइल
नयन के ताल में लहर उठल बहुत
कबो बा दिल के चोर आ नहा गइल
अजीब मीठ दर्द देह में उठल
सुई जिगर में बा केहू चुभा गइल
कबो लुका के झाँक नील में गइल
घटा नियर केहू हिया में छा गइल
</poem>
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समय फिरल कि अब वसंत आ गइल
कली-कली चमन के खिलखिला गइल
भरत सुगन्ध मन्द बह चलल पवन
उमंग के तरंग दिल बहा गइल
जिया हुलस गइल मिलन के याद में
कोइल कहीं से प्रीत-गीत गा गइल
नयन के ताल में लहर उठल बहुत
कबो बा दिल के चोर आ नहा गइल
अजीब मीठ दर्द देह में उठल
सुई जिगर में बा केहू चुभा गइल
कबो लुका के झाँक नील में गइल
घटा नियर केहू हिया में छा गइल
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