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|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
मुन्नी बढ़ कर रानी होगी,
मुन्नू होवेगा राजा।
बबुआ बेशक ब्याह करेगा,
औ ,बजावेगा बाजा।
सोहन सिर्फ किसान बनेगा,
धान बाजरा बोवेगा।
धन्नू बन सचमुच का धोबी,
सबके कपड़े धोवेगा।
मोहन मोटर सीख चलाना,
दूर देश को जावेगा।
लल्लू केवल लेक्चर देगा,
लीडर वह कहलावेगा।
शम्भू कहता है - शिक्षक बन,
मैं लड़कों को डाटूंगा।
मगर हुआ मैं कभी बड़ा,
तो कान गुरु के काटूँगा।
</poem>
|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
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मुन्नी बढ़ कर रानी होगी,
मुन्नू होवेगा राजा।
बबुआ बेशक ब्याह करेगा,
औ ,बजावेगा बाजा।
सोहन सिर्फ किसान बनेगा,
धान बाजरा बोवेगा।
धन्नू बन सचमुच का धोबी,
सबके कपड़े धोवेगा।
मोहन मोटर सीख चलाना,
दूर देश को जावेगा।
लल्लू केवल लेक्चर देगा,
लीडर वह कहलावेगा।
शम्भू कहता है - शिक्षक बन,
मैं लड़कों को डाटूंगा।
मगर हुआ मैं कभी बड़ा,
तो कान गुरु के काटूँगा।
</poem>