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{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आज अेक बस मांय
ड्राइवर सांमी
सीसै माथै
भगतसिंह री फोटू टंग्योड़ी
देख’र
म्हनै बड़ो अचम्भो हुयो
फोटू माथै गुलाब रै
असली फूलां री
माळा भी लटकै ही
मन मांय सोच्यो -
लखदाद है
ड्राइवर जिस्या लोगां री भी
सरधा है
देस श्गत सहीदां मांय
फेरूं सोच्यो -
कोरो सोचणो ई काफी नीं है
स्याबासी भी देणी चाईजै
म्हैं केयो-
ड्राईवर सा’ब
आ बात तो घणी आछी कै
थे टांगी भगतसिंह री फोटू
पण आ
थे टांगी कै
थारै कीं भायलै
का कोई हो राजादेस ?
नीं सा
बियां तो आ बस राज री है
पण आ फोटू म्हारी मरजी री है
और कईयां री फोटू तो लोग
घणी लगावै
पण आं जिस्यां री कम ई लगावै
अर जे कठैई लगावै
तो टल सी हड़ै ।
</poem>
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<poem>
आज अेक बस मांय
ड्राइवर सांमी
सीसै माथै
भगतसिंह री फोटू टंग्योड़ी
देख’र
म्हनै बड़ो अचम्भो हुयो
फोटू माथै गुलाब रै
असली फूलां री
माळा भी लटकै ही
मन मांय सोच्यो -
लखदाद है
ड्राइवर जिस्या लोगां री भी
सरधा है
देस श्गत सहीदां मांय
फेरूं सोच्यो -
कोरो सोचणो ई काफी नीं है
स्याबासी भी देणी चाईजै
म्हैं केयो-
ड्राईवर सा’ब
आ बात तो घणी आछी कै
थे टांगी भगतसिंह री फोटू
पण आ
थे टांगी कै
थारै कीं भायलै
का कोई हो राजादेस ?
नीं सा
बियां तो आ बस राज री है
पण आ फोटू म्हारी मरजी री है
और कईयां री फोटू तो लोग
घणी लगावै
पण आं जिस्यां री कम ई लगावै
अर जे कठैई लगावै
तो टल सी हड़ै ।
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