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दलित बुद्धिजीवी?बुद्ध ने आनन्द से कहा हम उन्हें पहचान नहीं सकते न ही दे पाते उन्हें सम्मान 'अप्प दीपो भव'—आओ हम भोग रहे दासत्व मुद्दतों से रहते आ रहे ग़ुलाम कि हम दलित सब सत्ताधीशों से ही हैं डरते और सम्मान भी उन्हीं का करते स्वयं अपने लिए बनें मार्गदर्शक।कि वैभव के तमाशे और नंगी सत्ता को हीहम पूजते— उनके ही आज्ञाकारी होते—हम होते हैं प्रभावित तुच्छ आकांक्षाओं और रोटी के चन्द टुकड़ों (रमणिका गुप्ता द्वारा अँग्रेज़ी सेक्षुद्र उपहारों या कलदारों (पैसोंअनूदित) और चुटकी भर लाभों से!
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