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एक चपाती / रमेश तैलंग

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{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तैलंग
|संग्रह=
}}
{{KKPustakKKCatBaalKavita}}|चित्र=ekchapati.jpg<poem>|नाम=ताती-ताती एक चपाती|रचनाकार=[[रमेश तैलंग]]दिखी तवे पे पेट फूलती |प्रकाशक=बिल्ली मौसी बोली— ‘म्याऊँ!|वर्ष=भूख लगी, मैं तुझको खाऊँ!’ |भाषा=हिन्दी|विषय= कविताएँसुनकर उछली दूर चपाती,|शैली=बाल गीतबोली फिर आँखें मटकाती—|पृष्ठ=‘मौसी पहले मक्खन ला,|ISBN=फिर चाहे मुझको खा जा।’|विविध=}}देख चपाती के ठनगन,* [[ / रमेश तैलंग]]बिल्ली ले आयी मक्खन,* [[ / रमेश तैलंग]]गुर्राकर फिर बोली-- 'म्याऊँ!* [[ / रमेश तैलंग]]अब तो मैं तुझको खा जाऊँ?’* [[ / रमेश तैलंग]]* [[ / रमेश तैलंग]]सुनकर उछली दूर चपाती,* [[ / रमेश तैलंग]]बोली फिर आँखें मटकाती—* [[ / रमेश तैलंग]]‘हाँ, हाँ पहले गुड़ तो ला।* [[ / रमेश तैलंग]]फिर चाहे मुझको खा जा।’ बिल्ली चल दी गुड़ लाने, लगी लौटकर झुँझलाने।‘म्याऊँ! म्याऊँ! म्याऊँ! म्याऊँ!अब मैं खाऊँ! अब मैं खाऊँ!’ मन-ही-मन में डरी चपाती,सोचा— ‘अब तो मरी चपाती।’चिढ़कर बोली-- ‘खा नकटी।’बिल्ली ग़ुस्से में झपटी।  खा ली चप-चप चप्प चपाती।हप्प चपाती गप्प चपाती।* [[ </ रमेश तैलंग]]poem>