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Kavita Kosh से
तय हो रहे हैं फ़ैसले देशहित-जनहित के इस सण्डास में
सामने एक शख्स शख़्स खड़ा है पुराने वाकयात दोहराता
गुज़रे ज़माने का वाहियात इतिहास दोहराता
और मुस्तकबिल की ओर देखता है