भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>महँगू ने महँगाई में
पैसे फूँके टाई में,
फिर भी मिली न नौकरी
औंधे पड़े चटाई में!
गिट-पिट करके हार गए
टाई ले बाजार गए,
दस रुपये की टाई उनकी
बिकी नहीं दो पाई में।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits